Saturday 24 September 2022

सामंजस्य

 मुझे उतार कर रख दो,

हर वक्त ओढ़े रहना

बेतुकी ज़िद है!


तुम जिन रास्तों से

बिना झिझके निकल जाओगे

मैं वहां उलझ जाऊंगी

कभी तुमसे

कभी खुद से !


आदर्श और अनुभव

एक दूसरे के सापेक्ष होकर भी

दो अलग जिंदगियां जीने को

अभिशप्त हैं...


गलत कोई नहीं

सही कोई नहीं।


__ Ismita




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