टूटा-फूटा सब कुछ
जो संभाल कर रखा था
सो हटा दिया
जो छूट गया,
वो जाने दिया..
जो नहीं छूट रहा था
उसे उधेड़ने की कोशिश
अब छोड़ दी...
गिरह न खोली, न बांधी
बस पकड़ कुछ ढीली कर दी...
कंधे जो तने हुए से थे,
अब नहीं है
मन बोझिल सा जो था,
अब हल्का है
अब अच्छा लग रहा है।
-Ismita.
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