Sunday 2 April 2023

पकड़ कुछ ढीली...

 


टूटा-फूटा सब कुछ

जो संभाल कर रखा था

सो हटा दिया


जो छूट गया,

वो जाने दिया..


जो नहीं छूट रहा था

उसे उधेड़ने की कोशिश

अब छोड़ दी...


गिरह न खोली, न बांधी

बस पकड़ कुछ ढीली कर दी...


कंधे जो तने हुए से थे,

अब नहीं है


मन बोझिल सा जो था,

अब हल्का है


अब अच्छा लग रहा है।


-Ismita.

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